सीवेज और वाटर सप्लाई कंपनी के बीच लटका सड़क का निर्माण
गड्डों में तब्दील हुई भौंरी, रहवासियों का निकलना हुआ मुश्किल, जनप्रतिनिधि मौन
सुरजीत प्रजापति। मौसम की पहली बारिश होते ही भौंरी की सड़कें दलदल बन चुकी है। यहां से निकलना मौत के कुएं में चलने के समान है अगर आपको मौत के कुएं में चलना आता है तभी आप भौंरी की सड़कों से निकल सकते हैं, अपितू आप भांैरी की सड़कों से नहीं निकल सकते हैं। और गलती से पहुंच गए तो आप का गिरना तय है। भौंरी की सड़कों की ऐसी हालत करने वाली सीवेज और वाटर सप्लाई कंपनियां है जिन्होने भौंरी की सड़कों पर मौत के कुएं खोद दिए हैं और अब सड़क बनाने में आपस मेें झगड़ रहे हैं। इन दोनो के आपस के झगड़े का शिकार भौंरी वासी बन रहे हैं। दो साल से दलदल भरी सड़कों के बीच निकल रहे भौंरी वासियों मेें आक्रोश पनप रहा है। और उन्होने अब धरना प्रदर्शन की तैयारी कर ली है।
वहीं सीवेज और वाटर सप्लाई कंपनी के कर्मचारियों से बात की गई तो सीवेज कंपनी के कर्मचारी कहते हैं की वाटर सप्लाई कंपनी सड़क बनाएगी और वाटर सप्लाई कंपनी के कर्मचारी कहते हैं की सीवेज कंपनी सड़क बनाएगी। इसी बीच निगम की वरिष्ठ कर्मचारी मैंडम से फोन पर बात की गई तो उन्होने बताया कि भौंरी सड़क की फाईल निगम आयुक्त के पास अटकी है वो जब भी पास कर देंगे हम सड़क का काम शुरु करवा देंगे। लेकिन लगता है पिछली बारिश भी दलदल सड़कों के बीच गुजरी थी और इस बार की बारिश भी दलदल भरी सड़कों के बीच ही गुजरेगी। राजधानी के इतने करीब होने के बाद भी अगर सड़कों की ऐसी हालत है और सड़क बनने में दो साल लगते है तो लगता है अगर राजधानी से दूर होती तो एक पीढी निकल जाती तब जाकर सड़क बन पाती। अब भौंरी वासियों के पास आंदोलन के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है।
कोरोना में विधायक एवं पूर्व पार्षद क्षेत्र की जनता को भूले: लगता है विधायक एवं पूर्व पार्षद ने कोरोना के बीच क्षेत्र के हालातों पर ध्यान देना ही बंद कर दिया है। विधायक महोदय तो लगता है जैसे भौंरी क्षेत्र को भूल ही गए हैं। और पूर्व पार्षद तो भौंरी में रहते हुए भी दलदल भरी सड़कों के बीच रहने को मजबूर हैं। पांच साल में पार्षद महोदय जी सड़कों के हालात नहीं सुधार पाए। लगता है जैसे वाटर सप्लाई और सीवेज के बीच सड़क नहीं बन पा रही है वैसे ही भाजपा के विधायक और कांग्रेस के पूर्व पार्षद के बीच भौंरी के विकास में पलीता लगा हुआ है।